Sunday 17 May 2020

बचपन की तस्वीर

बचपन की तस्वीर

बचपन की तस्वीर


मैं या आप , हम सब का बचपन था, और वो जो बचपन  हमने  बिताया है वो एक तस्वीर की तरह है हमारे दिल में हैं हम सब जानते है की जो बचपन हमने बिताया हैं वो तो दुबारा नहीं आ सकता पर  क्या आप को पता है की वो बचपन हम फिर से कैसे जी सकते है, 

आज हम सब उसी बचपन की बात करेंगे और फिर से उसी बचपन में लौट जायेंगे, बचपन ये जो शब्द है ये एक अलग आईना है जो हमारे बीते हुवे कल की तस्वीर दिखता है और एक अलग ही ख़ुशी देता है , 

हम सब जब बचपन में थे तब हमारे पास भले ही किसी बात का ज्ञान न हो पर आज क इस दौर से ज्यादा समझदार थे हमें बचपन में दोस्ती का मतलब भी पता नहीं था और तब भी हम दोस्ती के लिए क्या कुछ नहीं करते थे वो बिना मतलब के एक साथ घुमना और एक साथ स्कूल जाना और भी बहुत कुछ,

बचपन की मस्ती

मैं खुद एक गाँव का साधारण इंसान हूँ और मैंने आपने बचपन खुद गाँव में ही बिताया है और जब आज शहर में हूँ तो हर रोज गाँव की याद आती है वो गाँव का स्कूल, वो तालाब में घंटो तैरना, वो गाँव का मंदिर जहा हम खेलने जाया करते थे और जो भी मंदिर में पूजा करने आया करता उनसे बिना किसी संकोच के प्रशाद मांग के दोस्तों क साथ मिल बाट क खाना, वो एक अलग ही दौर था, आप ने अपने बचपन में भी बहुत मस्ती की होगी वो हमें जरूर बताये,

बचपन की तस्वीर


परोस की टीवी

जब आपका बचपन था तो आप ने टीवी तो जरूर देखी होगी, आप हमें बताये आप को बचपन की कौन की धारावाहिक पसंद थी जिसे आप आज भी नहीं भूले,

मैं जब छोटा था अपने बचपन में तब मेरे घर पे टीवी नहीं थी मैं मेरे घर क पास में मेरे दोस्त क घर जाया करता था तब क समय में बिजली भी तो उतनी नहीं आती थी, मैं अपने दादी के साथ परोस में टीवी देखने जाया करता था तब के समय में दूरदर्शन ही आया करता था और हम रामायण और महाभारत देखते थे, तब की मैं एक बात बताता हूँ आप भी बताना आप के मन में भी क्या ऐसा कभी कुछ आता था या नहीं..

मैं जब अपने दादी के साथ रामायण या महाभारत देखने जाता था परोस में और जब भी युध होता था तब मुझे बहुत डर लगता था की कही वो तीर टीवी से बाहरनिकल गया और मुझे लग गया तो मेरा क्या होगा, मुझे पता है ये बहुत ही अजीब है पर क्या करे बचपन का दौर था और हमें उतना कुछ पता भी नहीं था,

बचपन में खाना न खाने का बहाना

मैंने क्या आप सब ने अपने बचपन में कभी न कभी अपने माँ से अपने पापा से दादी से, किसी न किसी से खाना न खाने का बहाना तो बनाया ही होगा, आपने क्या और क्यों बहाना किया था हमें जरूर बताये,

मैं जब छोटा था अपने बचपन में तब मैं अक्सर स्कूल से आने के बाद दोस्तों के साथ खेलने जाने के लिए माँ से बहाना किया करता था की मुझे भूख नहीं है मैं थोड़ी देर बाद खाना खाऊंगा और मैं अपने दोस्तों क साथ खेलने जाया करता था, अक्सर जब ये बात पापा को पता चलता था तब पापा मुझे समझाया करते थे की बच्चो को खाना और खेलना दोनों जरूरी है तो जब भी स्कूल से आना तो खाना खाने के बाद ही खेलने जाना,

बचपन के हमारे खेल

आप ने अपने बचपन में कौन-कौन सा खेल खेला है, हमें जरूर बताये..

मैंने अपने बचपन में बहुत सरे खेल खेले है, मैं अक्सर अपने भाइयो के साथ ही खेलने जाया करता था, हमसब मिलकर लुकछिपी, चोर-सिपाही, कबडी, क्रिकेट, खोखो, लांगरी, गीली-डंडा, पहाड़-पानी, रेलगाड़ी, लूडो, और भी बहुत सारे खेल खेलते थे, और मजे की बात तो मैंने आप को बताया ही नहीं, मजे की बात ये है की हमारे खेल के नियम हमारे खेल के मैदान के ऊपर निर्भर किया करते थे

बचपन की तस्वीर


हम सब रविवार है बेसब्री से इंतज़ार किया करते थे और अक्सर सोचा करते थे की रविवार हफ्ते में एक बार ही क्यों आता हैं,

शनिवार को जब स्कूल की छुटी होती तो मनो जैसे आज़ादी मिल गयी ऐसा एहशास होता की मनो अब तो क्या मिल गया, घर पे आना और वही जब तक शाम न हो तब तक जी भरके खेलना और अगले दिन रविवार का इंतज़ार करना और अगली सुबह होते ही अपने धुन में चाहे वो मौसम गर्मी कहो या ठण्ड का हमें कुछ फर्क ही नहीं परता था,

बचपन की दोस्ती

दोस्ती आज के इस दौर में लोग मतलब से करते हैं, मगर जो दोस्ती हमने अपने बचपन में की थी उसमे हमने तब कोई मतलब नहीं ढूंढा था और वो जो दोस्ती थी वो आज भी उसी अंदाज़ में हैं, 

जब हम बचपन में दोस्तों के साथ खेलते थे साथ में घूमते थे तब हमें उनसे न कोई संकोच था न कोई शर्म और न कोई दोवेश हमसब एक दूसरे की ख़ुशी में ही खुसिया मानते थे, हम अक्सर जब अपने दोस्तों के लिए दुसरो से जब झगड़ा करते थे तो ऐसा महसूस होता था जैसे की हम कोई जंग के लिए तैयारी कर रहे हैं मगर ऐसा करने में हम एक बार भी कभी नहीं सोचते थे, ये थी हमारी बचपन की दोस्ती, 

बचपन की तस्वीर


अक्सर जब गर्मी का मौसम आता था तब हम सब दोस्त एक साथ बाग़ में जाया करते थे, ये जो मौसम होता था इस मौसम में आम, लिच्ची बाग़ में बहुत ज्यादा होता था हमसब एक थैला साथ में लेके जाया करते थे और बाग में घंटो घूमते थे और आम हमें जितना भी मिलता बाग़ से हम घर पे ले जाया करते थे और सब छोटे और बड़े भाइयो क साथ मिल बाटकर खाया करते थे, उम्मीद हैं अगर आप भी गाँव में रहे होंगे तो आप ने भी ऐसा जरूर किया होगा, वो जो पल बचपन का था आज वही पल दिल में गुदगुदी करते हैं जब हम इस प्रकार की घटना देखने को मिलता हैं, आप भी हमें बातये आप की दोस्ती कैसी थी आप के बचपन में |

तो कैसी लगी आप को ये बचपन की तस्वीर, उम्मीद हैं आप ने आपने बचपन इसमें जरूर पाया होगा ....



बचपन की तस्वीर

बचपन की तस्वीर मैं या आप , हम सब का बचपन था, और वो जो बचपन  हमने  बिताया है वो एक तस्वीर की तरह है हमारे दिल में हैं हम सब जानत...